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भगवान कृष्ण - भगवान विष्णु के 9वें अवतार

DeepakDeepak

भगवान कृष्ण

भगवान कृष्ण

भगवान कृष्ण, हिन्दु धर्म के सर्वाधिक लोकप्रिय देवों में से एक हैं। उन्हें भगवान विष्णु का नौवाँ अवतार माना जाता है। कुछ क्षेत्रों में भगवान कृष्ण को भगवान विष्णु का आठवाँ अवतार माना जाता है।

Lord Krishna Tribhangi Mudra
त्रिभङ्गी मुद्रा में भगवान कृष्ण

हिन्दु धर्मग्रन्थों में वर्णित चार आवर्तनशील युगों में से एक, द्वापर युग में भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था। धर्मग्रन्थों में प्राप्त वर्णन तथा ज्योतिषीय गणना के आधार पर भगवान कृष्ण की जन्म तिथि 19 जुलाई 3228 ई.पू. है तथा उनके देहावसान अर्थात भगवान कृष्ण के अपने शाश्वत निवास वैकुण्ठ गमन की तिथि 18 फरवरी 3102 ई.पू. है। वर्तमान युग का आरम्भ भगवान कृष्ण के वैकुण्ठ गमन के पश्चात् हुआ था, जिसे कलियुग के रूप में जाना जाता है।

भगवान कृष्ण, मथुरा नगर में राजकुमारी देवकी तथा उनके पति वसुदेव के आठवें पुत्र के रूप में अवतरित हुये थे। हालाँकि, श्री कृष्ण का लालन-पालन उनके पालक माता-पिता, माँ यशोदा तथा नन्द बाबा द्वारा मथुरा जिले के गोकुल नामक एक छोटे से ग्राम में किया गया था। हिन्दु पञ्चाङ्ग के अनुसार, भगवान कृष्ण का जन्म कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि पर अर्धरात्रि में हुआ था। समस्त हिन्दु इस दिन को जन्माष्टमी अथवा भगवान कृष्ण की जन्म जयन्ती उत्सव के रूप में मनाते हैं।

पृथ्वीलोक पर भगवान विष्णु का प्रत्येक अवतार किसी निर्धारित कार्य तथा उद्देश्य की पूर्ति हेतु होता है। महाराज कंस का वध करने तथा ब्रज वासियों को उनके कुकर्म व अत्याचारों से मुक्ति प्रदान करने हेतु भगवान कृष्ण का पृथ्वीलोक पर आगमन हुआ था। कालान्तर में भगवान कृष्ण महाभारत के घटनाक्रमों में सम्मिलित हुये तथा उनके योगदान का महाभारत के युद्ध तथा उसके परिणाम पर व्यापक प्रभाव पड़ा था।

भगवान कृष्ण को उनके स्वरूप द्वारा सरलता से पहचाना जा सकता है। श्री कृष्ण को सामान्यतः नीलवर्ण का दर्शाया जाता है। उन्हें अधिकांशतः मुरली, मोर-मुकुट तथा पीले रँग की रेशमी धोती धारण किये हुये दर्शाया जाता है। भगवान कृष्ण की सर्वाधिक लोकप्रिय मुद्रा, त्रिभङ्गी मुद्रा है। त्रिभङ्गी मुद्रा में कृष्ण एक पग भूमि पर तथा दूसरा पग उसके समक्ष मोड़े हुये, अधरों पर मुरली लिये, शान्त चित्त एवं सहजतापूर्वक खड़े रहते हैं।

हालाँकि, श्री कृष्ण ने अपने बाल्यकाल की प्रियतमा राधा से विवाह नहीं किया, किन्तु उनके अधिकांश चित्रों में उन्हें राधा जी के साथ दर्शाया जाता है। देवी रुक्मिणी, भगवान कृष्ण की धर्मपत्नी थीं।

भगवान कृष्ण का जन्म मथुरा में तथा उनका पालन-पोषण गोकुल में हुआ था। भगवान कृष्ण ने राधा जी एवं अन्य गोपियों के साथ अपना बाल्यकाल वृन्दावन में व्यतीत किया था, जो एक प्राचीन वनस्थली है।

Kalash
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