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कृष्ण जन्माष्टमी | गोकुलाष्टमी

DeepakDeepak

जन्माष्टमी

कृष्ण जन्माष्टमी

कृष्ण जन्माष्टमी को भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। कृष्ण जन्माष्टमी को गोकुलाष्टमी, श्रीकृष्ण जन्मोत्सव या केवल जन्माष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। गुजरात में कृष्ण जन्माष्टमी को सातम आठम के नाम से भी जाना जाता है और दक्षिण भारत में विशेष रूप से केरल में कृष्ण जन्माष्टमी को अष्टमी रोहिणी के रूप में मनाया जाता है।

Janmashtami Pujan
जन्माष्टमी के दौरान भगवान कृष्ण को अनुष्ठानिक स्नान देते हुये

जन्माष्टमी भगवान श्री कृष्ण का वार्षिक जन्मोत्सव है और यह सम्पूर्ण भारत में मनाया जाता है।

जन्माष्टमी का प्रारम्भ एवम् महत्व

जन्माष्टमी भगवान श्री कृष्ण के जन्म काल से ही मनायी जा रही है। जन्माष्टमी भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव का 5200 वर्ष से भी अधिक पुराना अनुष्ठानिक उत्सव है। वैदिक कालक्रम के अनुसार 2023 में यह भगवान श्री कृष्ण का 5250वाँ जन्मोत्सव है।

श्री कृष्ण जन्माष्टमी सभी कृष्ण मन्दिरों का अत्यन्त महत्वपूर्ण उत्सव है। भगवान कृष्ण से सम्बन्धित शहरों और कस्बों के लिये जन्माष्टमी घर-घर मनाया जाने वाला उत्सव है। ऐतिहासिक शहरों में, मथुरा, वृन्दावन और द्वारका के लोग कृष्ण जन्माष्टमी को अपने परिवार के सदस्य के जन्मोत्सव की तरह हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं।

जन्माष्टमी के देवी-देवता

जन्माष्टमी के उत्सव पर जिस मुख्य देवता की पूजा की जाती है, वे हैं भगवान श्री कृष्ण। चूँकि जन्माष्टमी भगवान कृष्ण का ही जन्मदिवस है, इस दिन भगवान कृष्ण के बालरूप की पूजा की जाती है। श्री कृष्ण के बालरूप को बाल गोपाल और लड्डू गोपाल के नाम से जाना जाता है। इसके साथ ही भगवान कृष्ण के किशोर रूप की भी पूजा की जाती है।

भगवान कृष्ण के अलावा, श्री कृष्ण को जन्म देने वाले माता-पिता अर्थात वसुदेव और देवकी, भगवान कृष्ण का लालन-पालन करने वाले माता-पिता अर्थात नन्द बाबा और माता यशोदा और भगवान कृष्ण के भ्राता बलभद्र (भगवान बलराम) और उनकी बहन सुभद्रा की भी जन्माष्टमी के उत्सव पर पूजा की जाती है।

जन्माष्टमी दिनाँक और समय

अमान्त हिन्दु कैलेण्डर के अनुसार
श्रावण (5वाँ माह) की कृष्ण पक्ष अष्टमी (23वाँ दिन)

पूर्णिमान्त हिन्दु कैलेण्डर के अनुसार
भाद्रपद (6वाँ माह) की कृष्ण पक्ष अष्टमी (8वाँ दिन)

हालाँकि दोनों कैलेण्डरों में कृष्ण जन्माष्टमी एक ही दिन मनायी जाती है।

जन्माष्टमी त्यौहारों की सूची

अधिकांश स्थानों पर जन्माष्टमी का उत्सव दो दिनों तक चलता है।

जन्माष्टमी पर अनुष्ठान

  • एक दिन का व्रत रखना
  • मध्यरात्रि के दौरान बाल स्वरूप कृष्ण की पूजा करना
  • श्री कृष्ण के मन्दिर जाना
  • विशेष रूप से दुग्ध उत्पादों द्वारा मीठे व्यञ्जन बनाना

जन्माष्टमी की क्षेत्रीय भिन्नता

भारत में अधिकतर लोग चन्द्र कैलेण्डर के आधार पर कृष्ण जन्माष्टमी मनाते हैं लेकिन दक्षिण भारत के कुछ मन्दिरों और कुछ क्षेत्रों में कृष्ण जन्माष्टमी सौर कैलेण्डर के आधार पर मनायी जाती है। अधिकांश वर्षों में इन दिनाँकों में एक-दो दिन का भी अन्तर नहीं होता है, लेकिन कुछ वर्षों में चन्द्र कैलेण्डर पर आधारित जन्माष्टमी की दिनाँक और सौर कैलेण्डर पर आधारित जन्माष्टमी की दिनाँक में एक महीने तक का अन्तर आ जाता है।

केरल, तमिलनाडु और कर्णाटक के कुछ क्षेत्रों में, कृष्ण जन्माष्टमी को अष्टमी रोहिणी के नाम से जाना जाता है और इसे सौर कैलेण्डर के आधार पर मनाया जाता है।

जन्माष्टमी पर सार्वजनिक जीवन

कृष्ण जन्माष्टमी भारत में एक वैकल्पिक राजपत्रित अवकाश है। हालाँकि, अधिकांश सरकारी कार्यालय, विद्यालय और महाविद्यालय कृष्ण जन्माष्टमी के दिन एक दिवसीय अवकाश रखते हैं।

जन्माष्टमी के समान अन्य त्यौहार

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