Kali Puja is significant during Diwali Puja. All comprehensive Diwali Puja Vidhi includes Kali Puja apart from other significant Puja(s) during Diwali Puja. However, rather worshipping idol of Bhagawati Kali, Lekhani-Dawat i.e. Pen and Inkpot are personified as Goddess Kali and those are worshipped as Goddess Kali herself. To begin Kali Puja, Lekhani-Dawat is kept at the place of worship. A Swastika symbol is drawn on them with Anamika i.e. the ring-finger of right hand. Swastika should be drawn with Rochana or red Sandal paste or Roli paste. Once Swastika is drawn on Lekhani-Dawat, Kali Puja can begin.
सबसे पहले भगवती श्रीकाली का ध्यान किया जाना चाहिये। प्रतीकात्मक रूप से भगवती काली का प्रतिनिधित्व करने वाले लेखनी-दावात के सामने ध्यान किया जाना चाहिये। भगवती काली का ध्यान करते हुए निम्नलिखित मन्त्र का जाप करना चाहिये।
मन्त्र का अर्थ - श्याम-वर्णा, खुले हुए सुन्दर केशोंवाली, हाथों में तुरन्त कटा हुआ मुण्ड, खड्ग, अभय और वर-मुद्रा-धारिणी, घोरानना, मुण्ड-माला-विभूषिता, ओष्ठ-प्रान्त से रक्त धारा बहाती हुई, कानों में शव-आभूषण-धारिणी, कमर में शव के हाथों की काञ्ची पहने हुई, श्मशान-वासिनी भगवती कालिका की मैं वन्दना करता हूँ।
भगवती काली का ध्यान करने के बाद, लेखनी-दावात के सम्मुख आवाहन-मुद्रा दिखाकर, निम्न मन्त्र पढ़ते हुए उनका आवाहन करें।
मन्त्र का अर्थ - भक्ति से सहज ही कृपा करनेवाली, परिवार-सहित हे देवेशि! जब तक मैं आपकी पूजा करूँ, आप तब तक स्थिर होकर विराजमान रहें। कठिनाई से पार होनेवाले भयानक संसार-सागर में निरन्तर गिरे हुए मुझे हे देवि बचा लीजिए। हे चित्-परात्मिके! आपको नमस्कार। हे परमेश्वरि, कालिके! जो देव और जो देवियाँ इस जगत् में सक्रिय हैं, उन सभी का मैं आवाहन करता हूँ। मेरे प्राणों की रक्षा करिए, यश की रक्षा करिए, स्त्रियों, पुत्रों और धन की रक्षा करिए क्योंकि हे जगद्-व्यापिके, देवि! आप ही सबकी रक्षा करनेवाली हैं। जब तक मैं पूजा करता हूँ, इस यज्ञ में प्रवेश कर आप यहीं ठहरिए। हे सर्वानन्द-कारिणि, देवि! मुझे आप सभी सिद्धियाँ प्रदान करें। हे मां कालिके! सब प्रकार का कल्याण करने के लिए आप यहाँ ठहरिए और हे सुमुखि! मेरी पूजा को स्वीकार करें। हे शङ्कर-प्रिये! आपको नमस्कार।
आवाहन करने के बाद निम्न मन्त्र पढ़कर भगवती काली के आसन के लिए पाँच पुष्प अञ्जलि में लेकर अपने सामने लेखनी-दावात के निकट छोड़े।
मन्त्र का अर्थ - हे देवताओं की इश्वरि! विविध प्रकार के रत्नों से युक्त, स्वर्ण-सज्जित आसन को प्रसन्नता हेतु ग्रहण करें।
॥ भगवती श्रीकाली के आसन के लिए मैं पाँच पुष्प अर्पित करता हूँ ॥
इसके बाद 'चन्दन-अक्षत-पुष्प-धूप-दीप-नैवेद्य' से भगवती काली का पूजन निम्न मन्त्रों द्वारा करें।
मन्त्र का अर्थ - इसके बाद 'चन्दन-अक्षत-पुष्प-धूप-दीप-नैवेद्य' से भगवती काली का पूजन निम्न मन्त्रों द्वारा करे
इस प्रकार पूजन करने के बाद बाएँ हाथ में गन्ध, अक्षत, पुष्प लेकर दाहिने हाथ द्वारा निम्न मन्त्र पढ़ते हुए 'लेखनी-दावात' पर छोड़े।
मन्त्र का अर्थ - महा-काली को नमस्कार। इस पूजन से श्रीकाली देवी प्रसन्न हों, उन्हें बारम्बार नमस्कार।