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चन्द्र ग्रहण के विषय में

DeepakDeepak

चन्द्र ग्रहण

चन्द्र ग्रहण

Lunar Eclipse Illustration
चन्द्र ग्रहण चित्रण

जब पृथ्वी की छाया चन्द्रमा पर पड़ती है, तब इसे चन्द्र ग्रहण कहा जाता है।

चन्द्र ग्रहण सदैव पूर्णिमा के दिन ही होता है। हिन्दु कैलेण्डर में पूर्ण चन्द्र दिवस को पूर्णिमा अथवा पौर्णमी के रूप में जाना जाता है।

चन्द्र ग्रहण के समय चन्द्रमा पर पड़ रहा सूर्य का प्रकाश पृथ्वी द्वारा अवरुद्ध हो जाता है। पृथ्वी के वायुमण्डल से परावर्तित प्रकाश चन्द्रमा पर पड़ने के कारण ही वह चन्द्र ग्रहण के दौरान दिखाई देता है। यदि पृथ्वी से प्रकाश परावर्तित नहीं हो तो चन्द्र ग्रहण के समय चन्द्रमा अदृश्य हो जाता। पृथ्वी से परावर्तित प्रकाश के कारण चन्द्रग्रहण के समय चन्द्रमा लाल रँग का दिखता है।

चन्द्र ग्रहण के समय चन्द्रमा पर पड़ने वाली पृथ्वी की छाया को उपच्छाया एवं प्रच्छाया क्षेत्रों में विभाजित किया जा सकता है। भौतिक विज्ञान के नियमों के कारण सभी ग्रहों की छाया दो क्षेत्रों का निर्माण करती हैं, जिन्हें उपच्छाया एवं प्रच्छाया क्षेत्र के रूप में जाना जाता है। उपरोक्त आरेख से यह स्पष्ट है कि प्रच्छाया क्षेत्र में अंधकार है क्योंकि इस क्षेत्र तक सूर्य का प्रकाश नहीं पहुँचता है, जबकि उपच्छाया क्षेत्र पूर्णतः अंधकारमय नहीं है क्योंकि इस क्षेत्र में कुछ मात्रा में सूर्य का प्रकाश पहुँचता है।

जब चन्द्रमा प्रच्छाया क्षेत्र के अन्तर्गत आता है तब पृथ्वी से पूर्ण चन्द्र ग्रहण देखा जाता है। यदि चन्द्रमा प्रच्छाया क्षेत्र से आंशिक रूप से निकलता है, किन्तु पूर्णतः पार नहीं करता, उस स्थिति में पृथ्वी से आंशिक चन्द्र ग्रहण देखा जाता है।

उपच्छाया चन्द्र ग्रहण तब होता है जब चन्द्रमा छाया के प्रच्छाया क्षेत्र को बिना स्पर्श किये उपच्छाया क्षेत्र से निकलता है। उपच्छाया चन्द्र ग्रहण कम महत्वपूर्ण होते हैं तथा सामान्यतः उन पर ध्यान नहीं जाता है क्योंकि यह ग्रहण नग्न आँखों से दिखाई नहीं देते हैं। हिन्दु कैलेण्डर में भी उपच्छाया चन्द्र ग्रहण को सूचीबद्ध नहीं करते हैं तथा इसे पूर्णतः अनदेखा किया जाता है।

उपरोक्त आरेख द्वारा यह स्पष्ट होना चाहिये कि पूर्ण चन्द्र ग्रहण के समय ग्रहण उपच्छाया चरण से आरम्भ होता है एवं आंशिक प्रच्छाया चरण तक चलता है तथा अन्त में पूर्ण ग्रहण के चरण में आ जाता है। आंशिक प्रच्छाया रूप में पुनः आने से पूर्व कुछ समय के लिये चन्द्रमा पूर्ण ग्रहण चरण में रहता है तथा अन्त में पूर्णतः ग्रहण से मुक्त होने से पूर्व उपच्छाया चरण में आता है।

यह स्मरण रखना रोचक है कि पृथ्वी पर कुछ स्थानों पर पूर्ण चन्द्र ग्रहण या आंशिक चन्द्र ग्रहण को कुछ स्थानों पर मात्र एक उपच्छाया ग्रहण के रूप में ही देखा जा सकता है। यह उस स्थिति में होता है जब चन्द्रोदय होता है, जब चन्द्रमा प्रच्छाया क्षेत्र से उपच्छाया क्षेत्र में उदय होता है अथवा जब चन्द्रास्त होता है, जब चन्द्रमा उपच्छाया क्षेत्र से प्रच्छाया क्षेत्र में स्थानान्तरित होने ही वाला होता है। उपरोक्त घटनाक्रम के कारण पृथ्वी पर कुछ स्थानों पर पूर्ण चन्द्र ग्रहण को आंशिक चन्द्र ग्रहण रूप में देखा जा सकता है।

एक वर्ष में कुल 0 से 3 (0 और 3 सम्मिलित) चन्द्र ग्रहण हो सकते हैं। किसी ग्रहण का पूर्ण चन्द्र चरण एक से दो घण्टे तक रहता है तथा उपच्छाया चरण से उपच्छाया चरण तक का सम्पूर्ण चन्द्र ग्रहण लगभग चार से छह घण्टे तक रहता है। एक चन्द्र ग्रहण के पूर्ण चन्द्र, आंशिक प्रच्छाया/चन्द्र या केवल उपच्छाया ग्रहण होने की सम्भावना लगभग समान होती है।

वैज्ञानिक रूप से आंशिक अथवा पूर्ण दोनों ही प्रकार के चन्द्र ग्रहण को नग्न आँखों से देखना सुरक्षित है।

Kalash
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