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2024 इस्कॉन कृष्ण जन्माष्टमी पूजा का दिन Chandur Bazar, महाराष्ट्र, भारत के लिये

DeepakDeepak

2024 इस्कॉन कृष्ण जन्माष्टमी

Chandur Bazar, भारत
इस्कॉन कृष्ण जन्माष्टमी
26वाँ
अगस्त 2024
Monday / सोमवार
इस्कॉन कृष्ण जन्माष्टमी
Lord Krishna JanmashtamiISKCON

कृष्ण जन्माष्टमी पूजा मुहूर्त

श्री कृष्ण जयन्ती योग
भगवान श्रीकृष्ण का 5251वाँ जन्मोत्सव
कृष्ण जन्माष्टमी सोमवार, अगस्त 26, 2024 को
निशिता पूजा का समय - 11:58 पी एम से 12:43 ए एम, अगस्त 27
अवधि - 00 घण्टे 45 मिनट्स
इस्कॉन के अनुसार पारण समय
पारण समय - 03:38 पी एम, अगस्त 27 के बाद
पारण के दिन रोहिणी नक्षत्र का समाप्ति समय - 03:38 पी एम
पारण के दिन अष्टमी तिथि सूर्योदय से पहले समाप्त हो गयी।
धर्म शास्त्र के अनुसार वैकल्पिक पारण समय
पारण समय - 06:01 ए एम, अगस्त 27 के बाद
देव पूजा, विसर्जन आदि के बाद अगले दिन सूर्योदय पर पारण किया जा सकता है।
मध्यरात्रि का क्षण - 12:21 ए एम, अगस्त 27
चन्द्रोदय समय - 11:37 पी एम Krishna Dashami
अष्टमी तिथि प्रारम्भ - अगस्त 26, 2024 को 03:39 ए एम बजे
अष्टमी तिथि समाप्त - अगस्त 27, 2024 को 02:19 ए एम बजे
रोहिणी नक्षत्र प्रारम्भ - अगस्त 26, 2024 को 03:55 पी एम बजे
रोहिणी नक्षत्र समाप्त - अगस्त 27, 2024 को 03:38 पी एम बजे

अन्य शहरों में इस्कॉन कृष्ण जन्माष्टमी मुहूर्त
12:13 ए एम से 12:59 ए एम, अगस्त 27 - पुणे
12:01 ए एम से 12:45 ए एम, अगस्त 27 - नई दिल्ली
11:48 पी एम से 12:34 ए एम, अगस्त 27 - चेन्नई
12:06 ए एम से 12:51 ए एम, अगस्त 27 - जयपुर
11:55 पी एम से 12:41 ए एम, अगस्त 27 - हैदराबाद
12:01 ए एम से 12:46 ए एम, अगस्त 27 - गुरुग्राम
12:03 ए एम से 12:47 ए एम, अगस्त 27 - चण्डीगढ़
11:16 पी एम से 12:01 ए एम, अगस्त 27 - कोलकाता
12:17 ए एम से 01:03 ए एम, अगस्त 27 - मुम्बई
11:58 पी एम से 12:44 ए एम, अगस्त 27 - बेंगलूरु
12:19 ए एम से 01:04 ए एम, अगस्त 27 - अहमदाबाद
12:00 पी एम से 12:44 ए एम, अगस्त 27 - नोएडा

* अन्य शहरों के लिये दिये गये मुहूर्त का समय सम्बन्धित शहरों का स्थानीय समय है।

अन्य वर्षों में इस्कॉन कृष्ण जन्माष्टमी का दिन

2021 - सोमवार, 30 अगस्त
2022 - शुक्रवार, 19 अगस्त
2023 - बृहस्पतिवार, 7 सितम्बर
2024 - सोमवार, 26 अगस्त
2025 - शनिवार, 16 अगस्त
2026 - शुक्रवार, 4 सितम्बर
2027 - बुधवार, 25 अगस्त
2028 - रविवार, 13 अगस्त
2029 - शनिवार, 1 सितम्बर
2030 - बुधवार, 21 अगस्त
2031 - रविवार, 10 अगस्त

* इस्कॉन कृष्ण जन्माष्टमी के दिनों की गणना Chandur Bazar, भारत के लिये की गयी है।

टिप्पणी: सभी समय १२-घण्टा प्रारूप में Chandur Bazar, भारत के स्थानीय समय और डी.एस.टी समायोजित (यदि मान्य है) के साथ दर्शाये गए हैं।
आधी रात के बाद के समय जो आगामि दिन के समय को दर्शाते हैं, आगामि दिन से प्रत्यय कर दर्शाये गए हैं। पञ्चाङ्ग में दिन सूर्योदय से शुरू होता है और पूर्व दिन सूर्योदय के साथ ही समाप्त हो जाता है।

2024 इस्कॉन कृष्ण जन्माष्टमी

भक्त लोग, जो जन्माष्टमी का व्रत करते हैं, जन्माष्टमी के एक दिन पूर्व केवल एक ही समय भोजन करते हैं। व्रत वाले दिन, स्नान आदि से निवृत्त होने के पश्चात, भक्त लोग पूरे दिन उपवास रखकर, अगले दिन रोहिणी नक्षत्र और अष्टमी तिथि के समाप्त होने के पश्चात व्रत कर पारण का संकल्प लेते हैं। कुछ कृष्ण-भक्त मात्र रोहिणी नक्षत्र अथवा मात्र अष्टमी तिथि के पश्चात व्रत का पारण कर लेते हैं। संकल्प प्रातःकाल के समय लिया जाता है और संकल्प के साथ ही अहोरात्र का व्रत प्रारम्भ हो जाता है।

जन्माष्टमी के दिन, श्री कृष्ण पूजा निशीथ समय पर की जाती है। वैदिक समय गणना के अनुसार निशीथ मध्यरात्रि का समय होता है। निशीथ समय पर भक्त लोग श्री बालकृष्ण की पूरे विधि-विधान से पूजा-अर्चना करते हैं। विस्तृत विधि-विधान पूजा में षोडशोपचार पूजा के सभी सोलह (१६) चरण सम्मिलित होते हैं। जन्माष्टमी की विस्तृत पूजा विधि, वैदिक मन्त्रों के साथ जन्माष्टमी पूजा विधि पृष्ठ पर उपलब्ध है।

कृष्ण जन्माष्टमी पर व्रत के नियम

एकादशी उपवास के दौरान पालन किये जाने वाले सभी नियम जन्माष्टमी उपवास के दौरान भी पालन किये जाने चाहिये। अतः जन्माष्टमी के व्रत के दौरान किसी भी प्रकार के अन्न का ग्रहण नहीं करना चाहिये। जन्माष्टमी का व्रत अगले दिन सूर्योदय के बाद एक निश्चित समय पर तोड़ा जाता है जिसे जन्माष्टमी के पारण समय से जाना जाता है।

जन्माष्टमी का पारण सूर्योदय के पश्चात अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र के समाप्त होने के बाद किया जाना चाहिये। यदि अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र सूर्यास्त तक समाप्त नहीं होते तो पारण किसी एक के समाप्त होने के पश्चात किया जा सकता है। यदि अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र में से कोई भी सूर्यास्त तक समाप्त नहीं होता तब जन्माष्टमी का व्रत दिन के समय नहीं तोड़ा जा सकता। ऐसी स्थिति में व्रती को किसी एक के समाप्त होने के बाद ही व्रत तोड़ना चाहिये।

कृष्ण जन्माष्टमी को कृष्णाष्टमी, गोकुलाष्टमी, अष्टमी रोहिणी, श्रीकृष्ण जयन्ती और श्री जयन्ती के नाम से भी जाना जाता है।

Kalash
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