यहाँ हम नवरात्रि के अवसर पर की जाने वाली दुर्गा पूजा की विस्तृत विधि का वर्णन कर रहे हैं। निम्नलिखित पूजन विधि में षोडशोपचार दुर्गा पूजा विधि के समस्त सोलह चरणों को सम्मिलित किया गया है।
दुर्गा पूजा का शुभारम्भ देवी के ध्यान एवं आवाहन के साथ होना चाहिये। देवी दुर्गा की मूर्ति के समक्ष आवाहन मुद्रा प्रदर्शित करते हुये निम्नलिखित मन्त्र का जाप करना चाहिये। आवाहन मुद्रा में दोनों हथेलियों को मिलाकर अँगूठे को अन्दर की ओर मोड़कर रखा जाता है।
देवी दुर्गा का आवाहन करने के पश्चात्, अञ्जलि में (दोनों हाथों की हथेलियों को मिलाकर) पाँच पुष्प लें तथा उन्हें निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये देवी दुर्गा की मूर्ति के समक्ष छोड़ दें तथा मन ही मन देवी से आसन ग्रहण करने का आग्रह करें।
देवी दुर्गा को आसन अर्पित करने के पश्चात्, निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, उन्हें चरण प्रक्षालन हेतु जल अर्पित करें।
पाद्य प्रक्षालन के पश्चात्, निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, देवी दुर्गा को सुगन्धित जल अर्पित करें।
अर्घ्य अर्पण करने के पश्चात्, निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, देवी दुर्गा को आचमन हेतु जल अर्पित करें।
आचमन अर्पण करने के पश्चात्, निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, देवी दुर्गा को स्नान हेतु जल अर्पित करें।
स्नान अर्पण के पश्चात्, निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, देवी दुर्गा को नवीन वस्त्रों के रूप में मोली अर्पित करें।
वस्त्र अर्पण करने के पश्चात्, निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, देवी दुर्गा को आभूषण अर्पित करें।
आभूषण अर्पण करने के पश्चात्, निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, देवी दुर्गा को चन्दन अर्पित करें।
तत् पश्चात्, निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, देवी दुर्गा को अखण्ड सौभाग्य के प्रतीक स्वरूप रोली अथवा कुमकुम अर्पित करें।
कुमकुम अर्पण करने के पश्चात्, निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, देवी दुर्गा को काजल अर्पित करें।
काजल अर्पण करने के पश्चात्, निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, देवी दुर्गा को सौभगाय सूत्र अर्पित करें।
तत् पश्चात् निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, देवी दुर्गा को सुगन्धित द्रव्य (इत्र) अर्पित करें।
तत् पश्चात् निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, देवी दुर्गा को हल्दी अर्पित करें।
हरिद्रा अर्पण करने के पश्चात्, निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, देवी दुर्गा को अक्षत (बिना टूटे चावल) अर्पित करें।
तत् पश्चात् निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, देवी दुर्गा को पुष्पाञ्जलि अर्पित करें।
तत् पश्चात् निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, देवी दुर्गा को बिल्वपत्र अर्पित करें।
तत् पश्चात् निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, देवी दुर्गा को धूप अर्पित करें।
तत् पश्चात् निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, देवी दुर्गा को दीप अर्पित करें।
तत् पश्चात् निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, देवी दुर्गा को नैवेद्य अर्पित करें।
तत् पश्चात् निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, देवी दुर्गा को ऋतुफल अर्पित करें।
तत् पश्चात् निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, देवी दुर्गा को आचमन हेतु जल अर्पित करें।
तत् पश्चात् निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, देवी दुर्गा को नारिकेल (नारियल) अर्पित करें।
तत् पश्चात् निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, देवी दुर्गा को ताम्बूल (पान-सुपारी) अर्पित करें।
तत् पश्चात् निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, देवी दुर्गा को दक्षिणा अर्पित करें।
दक्षिणा अर्पण करने के पश्चात्, निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, दुर्गा पूजा के समय उपयोग की गयीं पुस्तकों का पूजन करें।
पुस्तकों के पूजन के पश्चात्, निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, दुर्गा पूजा में प्रज्वलित दीप देव का पूजन करें।
दुर्गा पूजा में कन्या पूजन भी अत्यन्त महत्वपूर्ण है। अतः दुर्गा पूजा के पश्चात्, कन्याओं को भोजन करने हेतु आमन्त्रित किया जाता है तथा उन्हें दक्षिणा अथवा उपहार प्रदान किये जाते हैं। कन्याओं को दक्षिणा देते समय निम्नलिखित मन्त्र का जाप करना चाहिये।
अब निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करने के पश्चात्, देवी दुर्गा की आरती करें।
तत् पश्चात् निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, पुष्पों के साथ देवी दुर्गा की प्रतीकात्मक प्रदक्षिणा (परिक्रमा) करें।
अन्त में निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुये, पूजा के समय की गयीं, समस्त प्रकार की ज्ञात-अज्ञात त्रुटियों के लिये देवी माँ दुर्गा से क्षमा-याचना करें।